भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करती है, बल्कि कौशल विकास और व्यवसाय स्थापना में भी मदद करती है। आइए जानें इस योजना के बारे में विस्तार से।
PM Vishwakarma योजना का उद्देश्य और लाभ
पीएम विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत, सरकार बिना किसी गारंटी के मात्र 5% की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है। साथ ही, लाभार्थियों को 15,000 रुपये की अतिरिक्त आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
ऋण की राशि दो चरणों में वितरित की जाती है। पहले चरण में व्यवसाय शुरू करने के लिए 1 लाख रुपये और सफल कार्यान्वयन के बाद दूसरे चरण में 2 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। यह व्यवस्था लाभार्थियों को अपने व्यवसाय को चरणबद्ध तरीके से विकसित करने में मदद करती है।
पात्रता और कौशल प्रशिक्षण
प्रत्येक लाभार्थी को निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिसके दौरान उन्हें 500 रुपये प्रति माह का स्टाइपेंड भी दिया जाता है। यह प्रशिक्षण कारीगरों को अपने पारंपरिक कौशल को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करने में सहायता करता है।
आवेदन प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज
आवेदन करने के लिए उम्मीदवार योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmvishwakarma.gov.in पर जा सकते हैं। आवेदन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक हैं:
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- आय प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
- पहचान पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
- बैंक पासबुक की प्रति
- वैध मोबाइल नंबर
यह योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि भारत की समृद्ध कला और शिल्प परंपरा को भी संरक्षित करने में मदद करेगी। सरकार का यह प्रयास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पारंपरिक कौशल को आधुनिक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का काम करेगा।