हमारे देश में लाखों कारीगर अपनी कला से लोगों की जिंदगी को आसान बनाते हैं। इन्हीं कारीगरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने एक नई पहल की है – पीएम विश्वकर्मा योजना। विश्वकर्मा जयंती के शुभ अवसर पर शुरू हुई इस योजना से हमारे कारीगर भाई-बहनों को नई ताकत मिलेगी।
कारीगरों की मदद का नया संकल्प
इस योजना की सबसे खास बात है कि यह छोटे कारीगरों की हर तरह से मदद करेगी। चाहे वो कोई बढ़ई हो जो फर्नीचर बनाता है, या फिर कुम्हार जो मिट्टी को आकार देता है, या सुनार जो गहने बनाता है – सभी को इस योजना का लाभ मिलेगा। गाँव हो या शहर, हर जगह के कारीगरों को इससे मदद मिलेगी।
कारीगरों को काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए योजना में कम ब्याज पर कर्ज की सुविधा दी जा रही है। पहले चरण में एक लाख और फिर दो लाख रुपये का कर्ज मिलेगा। इतना ही नहीं, इस पर ब्याज भी बहुत कम – सिर्फ पाँच प्रतिशत सालाना रखा गया है।
आवेदन की प्रक्रिया
योजना में शामिल होने की प्रक्रिया को बेहद सरल रखा गया है। कारीगर अपने नजदीकी सेवा केंद्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। जो लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करना जानते हैं, वे घर बैठे ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं।
सिर्फ पैसों की मदद ही नहीं, बल्कि कारीगरों को नए जमाने के हिसाब से तैयार करने की भी योजना है। उन्हें नए औजार दिए जाएंगे, उनके काम का प्रशिक्षण दिया जाएगा, और उनके सामान को बाजार में बेचने में मदद की जाएगी। डिजिटल भुगतान की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, ताकि वे आधुनिक व्यापार में पिछड़ न जाएं।
बनेंगे नए कार्ड
हर कारीगर को एक विशेष पहचान पत्र मिलेगा। यह पहचान पत्र उनकी कला और कौशल को सरकारी मान्यता देगा। इससे उन्हें अपने काम में सम्मान और नई तरक्की के मौके मिलेंगे।
यह योजना सिर्फ एक मदद नहीं है, बल्कि भारत के पारंपरिक कौशल को बचाने और बढ़ाने का एक बड़ा कदम है। इससे न केवल कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि हमारी पुरानी कलाएं भी नए रूप में आगे बढ़ेंगी। तीस लाख से ज्यादा कारीगर परिवारों की जिंदगी में यह योजना नई रोशनी लाएगी।
तेरह हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से भारत के कारीगरों को एक नई दिशा मिलेगी। यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि एक पूरा विकास कार्यक्रम है, जो हमारे कारीगरों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगा।